यूपी छात्रवृत्ति: बायोमैट्रिक उपस्थिति नहीं होने पर छात्रवृत्ति मिलने में रुकावट
लखनऊ: आधार आधारित बायोमैट्रिक उपस्थिति (अटेंडेंस) दर्ज नहीं होने पर विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी, यह निर्णय यूपी सरकार द्वारा लिया गया है। प्रदेश सरकार ने यह तय किया है कि वर्ष 2025-26 से यह नई व्यवस्था शत-प्रतिशत शिक्षण संस्थानों में लागू की जाएगी।
इस व्यवस्था को शिक्षण संस्थानों में चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए सरकार ने दो वर्ष का समय दिया है, जिसकी समय सीमा शिक्षण संस्थानों के लिए समाज कल्याण विभाग ने तय की है। प्रदेश सरकार हर वर्ष करीब 50 लाख गरीब परिवारों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करती है।
छात्रवृत्ति प्राप्ति के लिए आधार आधारित बायोमैट्रिक उपस्थिति निर्धारित समय सारिणी:
- पहला चरण (2023-24): इस चरण में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ, स्टेट मेडिकल फैकल्टी, उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड, उत्तर प्रदेश आयुर्वेद योगा, यूनानी, तिब्बी बोर्ड और सभी राज्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ समस्त बीएड पाठ्यक्रम वाले संस्थानों में यह नई व्यवस्था शुरू होगी।
- दूसरा चरण (2024-25): इस चरण में, राज्य/केंद्रीय विश्वविद्यालय, संबद्ध संस्थान, परीक्षा नियामक प्राधिकारी, प्राविधिक शिक्षा परिषद, सभी राजकीय आटोनामस विश्वविद्यालय/शिक्षण संस्थान, डीम्ड विश्वविद्यालय और शेष सभी शिक्षण संस्थानों में आधार आधारित बायोमैट्रिक उपस्थिति की सुविधा अनिवार्य होगी।
यह नई योजना छात्रवृत्ति के घपलों को रोकने और नियमावली में सुधार करने के लिए है। इसके अनुसार, दशमोत्तर (कक्षा 11 से ऊपर) छात्रों को छात्रवृत्ति पाने के लिए कक्षाओं में उपस्थिति की 75 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। अगर इससे कम है तो छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिलेगा।
समाज कल्याण विभाग ने इसे लागू करने के लिए शैक्षिक संस्थाओं में चरणबद्ध तरीके से आधार बायोमैट्रिक उपस्थिति की सुविधा अनिवार्य रूप से शुरू करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।